बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां :-
#1#
बिर्रा अपने बार रखत है |
ठाड़ौ आँगन से हेरत है |
हाथन आबै बनत जुगाडू –
का री बालम ? नाँ री झाडू |
#2#
अपनी कीमत भौत बताबै |
मौरे सँग खौं दौरत आबै |
मौरे लेंगर लगै सलोना-
का री बालम ? नाँ री सोना |
#3#
मौरी छाती सैं आ चिपके।
रबै सबइँ से साँसउँ छिपके।
मैं भी चिपका कै रत भोली –
का री साजन ? नाँ री चोली।
***
©-राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक “अनुश्रुति” त्रैमासिक बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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