बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
#बुंदेली दोहे -219- #कीचर (#कीचड़)
#राना गंदौ आदमी,कीचर खौं फैलात।
मन अपनौ गंदौ रखत,खौटे करम पुसात।।
कीचर जब लैबे उचट,तन कौ लेत हिसाब।
तन उन्ना धुल जात हैं,पर मन हौत खराब।।
#राना दामन पै नँईं ,अब तक कीचर दाग।
इसीलिए कुछ साजिशें,लगीं जलाने आग।।
#राना देखत आदमी,कीचर रयौ उछाल।
गिरतइ मौं पै लौटकै,हौत बैइ बेहाल।।
कीचर गंदौ खुद रयै,गंदी राखै सोच।
#राना दैतइ कष्ट है,ऊपर से रख लोंच।।
धना कात #राना सुनौ, मौरी बाइ बुलाव।
टारा टूरी बात कौ,कीचर नँइँ फैलाव।।
🤗🤭 दिनांक-27-5-2024
✍️ #राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. #लेखक_संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष #वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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