बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
[02/11, 1:33 PM] Rajeev Namdeo: बुंदेली दोहा – कुर्ता
छोटो कुर्ता अब चलो,कछु कसको भी हौत।
लरका ब्याय बरात में,#राना धाँदत भौत।।
#राना अपने ब्याय में, कुर्ता गोटेदार।
घोड़ा पै जब हम चढ़े,लटका लइ तलवार।।
#राना कुर्ता अँगरखा,हतौ पजामा यार।
पर था चूड़ीदार वह,पगड़ी कलगीदार।।
खन्ना श्री राजेश ने,पैरौ कुर्ता जौन।
चलो पेंट पै खूब है,लगबें #राना पौन।।
कुर्ता मोदी छाप अब,हाप बाँय को जान।
#राना प्यारौ भी लगत,देखत हिंदुस्तान।।
***दिनांक -2-11-2024
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
[02/11, 1:37 PM] Pramod Mishra Baldevgarh: ,,बुन्देली दोहा विषय ,,कुर्ता ,,
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मुलकन बिटियाँ पैरतीं , अब कुर्ता सलवार ।
खुद”प्रमोद”धाँदैं फिरत , जडौ़ किनारीदार ।।
कुर्ता पैजामा हनैं , स्वापी है रंगीन ।
अजगर करिया सांँप लयँ , दतै बजावै बीन ।।
नेता जी कुर्ता धदैं , लगै सैकरन दाग ।
किवदल लाबी फाँक रय , उंँगलें मौं सें आग ।।
चमचन के कुर्ता तकौ , चमचमात हैं भौत ।
जैसैं ऐवाती बनी , सजी बजी रत सौत ।।
कुर्ता टँगौ चिरौल पै , दद्दू काटैं घाँस ।
पंँचा फटौ पछाऊँ सैं , लगी काँस की फाँस ।।
चुलिया लयँ फुलिया भगीं , रातैं कुर्ता पैर ।
कत तौ कोउ”प्रमोद”खुद , कड़ गव सैरइ सैर ।।
आन गाँव की लोगनी , कुर्ता पैरैँ आइ ।
कत ती कितै “प्रमोद”रत , हमखौं दैव बताइ ।।
कुर्ता मैं भरदव भुसा , पुतरा बडो़ बनाव ।
ठाँडौ़ करदव खेत में , जान लैव रखवाव ।।
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,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ मध्य प्रदेश ,,
,, स्वरचित मौलिक ,,
[02/11, 1:52 PM] S R Saral Tikamgarh: बुन्देली अप्रतियोगी दोहा
विषय -कुर्ता
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कुर्ता पैरें बग बगों,
भाषन लच्छेदार।
नेता माँगें वोट खौ,
जनता के दरवार।।
नेता कुर्ता पैर कै,
वोटन करें थराइ।
जनता सै कत राख दो,
अबकै लाज हमाइ।।
जाकट कुर्ता ऊपरे,
चश्मा टगों लिलार।
नेता जू कैबे लगे,
जनता कौ है प्यार।।
कर कर झूटे बायदे,
कुर्ता भय बदनाम।
इनकों का विश्वास है,
करें न कौनउँ काम।।
नेता कै रय मंच सै,
दो साँसी दस झूट।
कुर्ता बारे काइयाँ,
रये देश खौ लूट।।
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एस आर सरल
टीकमगढ़
[02/11, 2:16 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा प्रदत्त शब्द (कुर्ता)
(१)
कुर्ता कालरदार में , बटन चटकना चार।
पैरैं लंम्मरदार जू , घूमें बीच बजार।।
(२)
कुर्ता पैरे सैं मिलै , काया खौं आराम।
साफा बाॅंदौ मूॅंड़ पै , अखरत नइॅंयाॅं घाम।।
(३)
पाजामा कुर्ता डटैं , नये पाॅंवनें आय।
मोंड़ी मोंड़ा खुश भये,सास ससुर हरसाय।।
(४)
कुर्ता नेंचौ पैर कैं , कलीदार सलवार।
करतीं देखौं डाॅंडिया , बुंदेली ब्रज नार।।
(५)
कुर्ता भारत देश कौ , प्यारौ है परिधान।
कैरय कवि” नादान” जा,अपनी है पहचान।।
आशाराम वर्मा” नादान” पृथ्वीपुरी
( स्वरचित ) 02/11/2024
[02/11, 2:54 PM] Subhash Singhai Jatara: विषय कुर्ता
धोती कुर्ता छूट गय , अब पैरत हैं पेंट |
शर्ट और टी शर्ट में, फिरत लगा कें सेंट ||
कुर्ता धोती शान थी , हतौ भौत सम्मान |
अब दद्दू देहात के , मिलबै सुनबै गान ||
नेता भी कुर्ता तजै , पेंट शर्ट में आँय |
बस सफेद को ख्याल रख , वोट माँगबें जाँय ||
चलौ पजामा के सँगै , कुर्ता आलीशान |
मिलत आज भी लोग है , पैरै करें गुमान ||
कुर्ता पै जाकट डटै , पैरत लम्बरदार |
जातइ है पंच्चात में , मूँछ नुकीली डार ||
सुभाष सिंघई
[02/11, 4:34 PM] Bhagwan Singh Lodhi Hata: बुन्देली दोहे
विषय:कुर्था
कुर्ती कुर्ता पर्दनी, मिरझांई बनयान।
कहाॅं सलूका गय बिला, रै गइ कोरी शान।।
परदनियाॅं पै दिप रओ,कुर्था कालर दार।
जाकट होबै और तौ, फिर का काने यार।।
कुरम साइ मुन्डा हने,खींसा ककवा डार।।
लम्मो कुर्था पैर कें, चले ठलू ससरार।।
कुर्था नेता सें कहत, हो गय हम बदनाम।
रव नैयां बिसवास अब,चाय पैर लें राम।।
कुर्था जाकट सें कहे, गओ जमानौ बीत।
जौन अपन खों पैरबै, नहीं कोउ के मीत।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी
[02/11, 4:46 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: विषय -कुर्ता
दोहा
1-मटके कुरता परदनी,
मूँछन पे दयँ ताव।
बड़े कका जू काँ चले,
साँसी हमें बताव।।
2-कोसा की पगड़ी बँदी,
घोड़ा पे असवार।
कुरता अचकन पैरतइ,
हाँत ढाल तलवार।।
3-कुरता पे जाकट हनें,
पैरें सेत सराई।
बृजभूषण कत मूढ़ पै,
टोपी सोइ लगाइ।
4-कुरता पैजामा डटें,
निकरे हाट बजार।
टका नहीं कव हात में,
सौदा तकत हजार।।
5-सूती कुरता होय तो,
दिन भर फिरें डटाँय।
जो कउ टैरीकाट को,
तो फिर माँय हटाय।।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[02/11, 9:48 PM] Rajeev Namdeo: बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-188
दिनांक 2.11.2024 प्रदत्त शब्द- कुर्ता
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
कुर्ता पै जाकट डटी, गरें सुआपी डार।
सुपर फांद की परदनी, पैर चले ससरार।।
***
-एम एल त्यागी खरगापुर
2
कुर्ता पैरें अटपटौ, फटी सुआपी मूँड़।
पाउंन छाले पर गये,कान्हा खों रय ढूँड़।।
***
-आशा रिछारिया , निवाड़ी
3
स्वापा कुर्ता पर्दनी, सनातनी परिधान।
पैरत अब भी सान सें,धरती-पुत्र किसान।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
4
कुर्ता धोती पैनकर, रामू गय ससुरार ।
सारी नैं स्वागत करौ,जीजा क्रीज समार ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
5
खादी का कुर्ता पहन, में गाँधी बन जाउँ।
सच बोलूँ नित गीत भी, देश प्रेम के गाउँ।।
***
-रामानन्द पाठक ‘ नन्द’, नैगुवां
6
कुर्ता जाकट तौलिया,टोपी मफलर शाल।
लहॅंगा चोली चूनरी , साड़ी जचबै लाल।।
***
-आशाराम वर्मा “नादान” पृथ्वीपुर
7
कुर्ता पैरें बगबगौ, बोलत मीठे बोल।
भीतर भूँके शेर हैं, बाहर ओड़ें खोल।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
8
अल्फी बंडी जाकटें,कुर्ता भूले लोग।
पंचा पगड़ी गय बिला, धोती लगबे रोग।।
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
9
राजनीति में बन गई,कुर्ता की पहचान।
पहरें फिर रय बगबगे,नेता जी की शान।।
***
– मूरत सिंह यादव ,दतिया
10
सिर टोपी, पग परदनी, रैबै भारी धाक।
कुर्ता सैं नौनी नहीं, कोनउं इत पोशाक।।
***
– प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
11
कक्कू कुर्ता पैरकें , जब गयते ससुरार ।
गित गय मड़वा के तरैं , दइँ लुगाँन ने मार ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ
12
खादी कौ कुर्ता पहन , गाँधी लरे लराइ।
गोरन के छक्के छुड़ा,आजादी दिलवाइ।।
***
एस आर ‘सरल’, टीकमगढ़
13
कुर्ता धोती जम रई, साफा कलगीदार।
समदी समदन सें मिलें, हो रइ जै जैकार।।
***
श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा, विदिशा
14
कुर्ता,साफा,परधनी, बुंदेली परिधान।
पैर पनइंयाँ कड़ चले, मौं में दाबें पान।।
***
– संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
15
पैरें कुर्ता परदनी,पट पीरी जयमाल।
धारें श्री गिरिराज जी, छिंगुरी रये सभांल।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव झांसी
16
आ गए कुर्ता पैर कें, समधी मोरे द्वार ।
बोले जय शनि देव की, होय सफल शनिवार ।।
***
– डॉ.राज गोस्वामी,दतिया
17
कुर्था परदनियाॅं हतौ,सनातनी पैराव।
हल्के उन्नौ सें उठो, शरम धरम कौ भाव।।
***
– भगवान सिंह लोधी “अनुरागी”,हटा
18
कुर्ता पैरो आज तौ,कइ बरसों के बाद।
पूजा कर ली पैरकें,जीवन भर रै याद।।
***
-वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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