बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-168दिनांक-15-6-2024 के दोहे
बुन्देली प्रतियोगी दोहा -168
विषय:- दाऊ
शनिवार,दिनांक – 15/06/2024
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह.टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
नेंनू लोंदा हाँत लयँ, कछु मौं पै लपटायँ।
छुपा छुपी हरि खेलबें, दाउ पकर नें पायँ।।
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– डॉ.देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
2
बलदाऊ जी कृष्ण के,सदा रहे हैं संग।
बृज गोकुल में श्याम ने,खेले होली रंग ।।
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– मूरत सिंह यादव, दतिया
3
त्रेता में लछमन हते, द्वापर में बलराम।
दाऊ बन गय कृष्ण के,लीलाधर धनश्याम।।
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-भगवान सिंह लोधी “अनुरागी”
4
दद्दा दाऊ प्रेम सें, जौन घरन में रात।
मजबूती पै नींव की, अटा दोर मुस्क्यात।।
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-विद्या चौहान, फरीदाबाद
5
सीदे सादे दाउ हैं , मनभावन सौभाव।
हरदम बे तैयार हैं , कोंनउँ काम बताव।।
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-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़
6
दाऊ तुमरो जन्म दिन, बहुत मुबारक होय।
दिन दूनी निस चौगुनी, राम-कृपा हो तोय।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा, विदिशा म. प्र.
7
दाऊ मोय खिजात है,माँ खों श्याम सुनाय।
मो सें कयँ तू मोल को, मोरे घर में आय।।
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रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
8
गैल चलत लेबैं अरे , घरै उरानें आँय।
सबइ दंद गोपाल के ,बलदाऊ निपटाॅंय।।
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-आशाराम वर्मा “नादान ” पृथ्वीपुर
9
दाउ बड़े करतूतले, हैं सुभाव के नेक।
छोटे भैया बैन की,राखें सबरी टेक।।
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-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
10
चोरी में पकड़े गए,दाऊ रहे मनाय।
कान मरोड़े मात ने,देखत हैं खिसियाय।।
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-रंजना शर्मा, भोपाल
11
दाऊ थे बलराम जू ,छोटे रय ते श्याम।
हक से डाँटत रय सदा,लेत रयै है नाम।।
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-सुभाष सिंघई, जतारा
12
बलदाऊ से दाउ ना, नहीं गंग सौ नीर।
ना देवर हरदौल सौ, जा नें तजो शरीर।।
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-प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़
13
कृष्ण कहैं बलदाउ सैं,सुनौ हमाई बात ।
बिन बताय हमका करैं,बिदी गुट्ट निपटात ।।
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-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
14
उनकी किस्मत है भली, जिनके घर में दाउ।
जैसे हैं श्री कृष्ण के, भैया जू बलदाउ।।
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– अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
15
दद्दा पछले कौ हमें,नइँ भव भ्याँस इकाउ।
कय कै घर पै छाँयरौ, करें जबइ सें दाउ।।
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-गोकुल प्रसाद यादव ,नन्हींटेहरी
16
मिल गय हम खों भाग सें,हलधर जैसे दाउ।
पक्की बखरी दइ हमें, खुद लै लइ गुँदयाउ।।
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-रामानन्द पाठक, नैगुवां
17
कृष्ण और बलदाउ खौं,जानत सकल जहान।
गोविंद विष्णु रूप में, हलधर बड़े महान।।
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-संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)
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संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’