बुंदेली दोहा- छला (अंगूठी)
#बुंदेली दोहा – #छला (सादा #अँगूठी )
बन्न-बन्न कै अब छला,दिखबै में आ जात।
सबइ धात कै है मिलत,#राना खूब पुसात।।
लैकै गय मुँदरी छला,वीर बली हनुमान।
‘राना’सौपौं माइ खौं,करकै प्रभु गुनगान।।
पंच नखा पैरें छला,वीर शिवा महराज।
चीर पाय तब तन मुगल,’राना’ बनकैं बाज।।
छला अँगूठा में पुवा,कैउ ढुलकिया आत।
लकड़ी ठोलक खोल पै,#राना चट्ट बजात।।
पैर अँगुरियन में छला,तिरियाँ पैरैं खूब।
#राना चुकटी सब कहै,चिन्ह बनें महबूब।।
एक हास्य दोहा-
धना कात #राना सुनौ,छला लुवा दो आज।
बस सोने कै पाँच ठौ,करे अँगुरियन राज।।🤑
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✍️ #राजीव_नामदेव “#राना_लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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