बुंदेली दोहा- चिलकत
बुंदेली दोहा विषय – चिलकत (चमकता)
इसका उच्चारण मात्रा भार ( चिल+कत = दो +दो है , इस शब्द से यति और पदांत नहीं हो सकता है , अत: ऐसे शब्दों का प्रयोग प्रारंभ और मध्य में किया जाता है
सादर
भारत भी चिलकत रयै , #राना मंशा आज |
सब लौगन के काम से , आय राम कौ राज ||
चिलकत #राना आदमी , नियत रखै जो साफ |
खौटोंपन उतरात है , कोउ करत ना माफ ||
नेता चिलकत से लगैं , जीतैं अगर चुनाव |
हारे करिया से लगत , #राना मिलत न भाव ||
चिलकत मन उनकौ सदा , भजन सदा जो गाँय |
#राना रातइ मस्त हैं , फल भी नौनों पाँय ||
चिलकत रहियौ सब इतै , लिखियौ अक्छर चार |
हिलै – मिलै #राना रयैं , करैं पटल सिंगार ||
हम तुम सब चिलकत रयैं , हृदय भाव मजबूत |
#राना नौनों लिख चलैं , बनें शारदा पूत ||
***
✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com