*बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान*
बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान
#राना अच्छी हौत है, गैरी हौय चिनार।
दरस परस नौनीं बनत, साजै सुनत विचार।।
जब चिनार हो जायँ तौ, उचित रखौ व्यवहार।
हिलो मिलो जब हो समय ,’राना’सुनौ विचार।।
जब चिनार हौ काउँ सै,#राना परखौ पैल।
हौ जाबै विश्वास तब, आगै चलियौ गैल।।
चले गयै हनुमान जी, लंका के कुछ द्वार।
मिले विभीषन भक्त जब,#राना बनी चिनार।।
सूपनखा श्री राम लौ,#राना करै चिनार।
नाक धुनक कै तब लखन,रकत लगादइ धार।।
धना कात #राना सुनौ, ठाड़ै अपने द्वार |
बनै नंद ननदैउवा, काढ़ै फिरत चिनार ||
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-राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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