बुंदेली दोहा- चंपिया
बुंदेली दोहा विषय – चपिया
#राना चपिया हर घरै, दिखै हमें दो चार।
दूद दही घिउँ भी रखै,ऊ में दाने दार।
कलौ अथानों नारियाँ,चपिया में धर जायँ।
सौदीं खुश्बू है लगत,’राना’ जब भी खायँ।।
चपिया में घिउँ जौर कै,धना भौत मुस्कात।
‘राना’औसर जब परै,बन जै लुचइँ बिलात।।
मटकी की लघु बैन है,जानौ चपिया बाइ।
मटका की साली लगी,#राना किसा बनाइ।।
लैकै चपिया राधिका,गयी श्याम के पास।
माखन जीमै थौ भरौ,खाबै खौ कछु खास।।
एक हास्य दोहा –
धना कहै #राना सखा,दद्दा चपिया लायँ।
रसगुल्ला अब भेजने,भरकैं मौखौ मायँ।।🤔🤭
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✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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