बीमार घर/ (नवगीत)
छत को नजला हुआ
सर्द दीवार है,
जब से बिटिया गई,
घर ये बीमार है ।
खुरदरा-सा लगे
फर्श, ये मरमरी,
दूब आँगन की
लगने लगी दरदरी ;
ग्रस्त हैं खिड़कियाँ
मोतियाबिन्द से,
त्रस्त ज्वर,वात से
देहरी-द्वार है ।
पेट दुखता रसोई
का,ऐंठन भरा,
हो गया है घिनौची
को मोतीझरा ;
कल से बासे धरे
लड्डू गोपाल भी,
और तुलसी सहे
धूप की मार है ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),जि.-सागर
मध्यप्रदेश-470227
मो.- 8463884927