बीत जाता हैं
चलकर कदमों से
आसमान भी नापा हैं
बसंत बनी गुलजारों से
शोले का पर्वत आँका हैं
जीवन यू ही बीत जाता हैं।।
पुरानी बनी जंजीरों से
दूरियों को झाँखा हैं
अतुल-अपार विश्वासों से
मन दीपक जल जाता हैं
जीवन यू ही बीत जाता हैं।।
सजीव जगत के जीवो से
नई पीढी बन जाती हैं
नाम बना हो संघर्षो से
तो घमंड कभी नहीं आता हैं
जीवन यू ही बीत जाता हैं।।
अधिकार लेते रहने से
विकास कहाँ रुक जाता हैं
अनुभव की गहराई से
जीवन उज्ज्वल हो जाता हैं
जीवन यू ही बीत जाता हैं।।