बीत गया है पूरा साल
कब तक करे अब हम मलाल
बीत गया है पूरा साल,
फिर शहर में न हो बवाल
बीत गया है पूरा साल.
क्यों किये थे वादे हमसे
जो पूरा न कर सके,
क्यों पूछे थे इरादे हमसे
जो हिम्मत न कर सके.
विकास के घोड़ों पर बैठे
अंधभक्तों का हुआ ज़वाल
कब तक करे अब हम मलाल
बीत गया है पूरा साल.
नोटबंदी से अब तक कितनी
हमने जाने खोई है
काले धन की सरकार में
बूढी माँ भी रोई है.
मोदी के यारों से कब तक
पूछोगे तुम यही सवाल
कब तक करे अब हम मलाल
बीत गया है पूरा साल
घाटी की गलियों में देखो
बिकती अब भी दहशत है,
कभी कर्फ्यू और हडतालों में
नाचती अब भी वेहश्यत है.
जिन आँखों ने सच को देखा
उन बच्चों की आँखें निकाल
कब तक करे अब हम मलाल
बीत गया है पूरा साल.
……मुदस्सिर श्रीनगर कश्मी