बिहार में राष्ट्रपति शासन
बिहार राज्य में मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल ऐसे तो 2 जनवरी 1946 से ही शुरू हो गया। जिस समय अभी देश भी आजाद नहीं हुआ था लेकिन अंतरिम सरकार की गठन हो चुकी थी। उस समय बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्री कृष्ण सिंह रहें। लेकिन 1946 से 2005 तक में आठ बार राष्ट्रपति शासन लगना ये राज्य की राजनीतिक पार्टियों एवं सत्ता के लालच करने वाले मुख्यमंत्रियों की पोल खोलती है। साथ ही अशिक्षा की पोल खोलती है कि उस समय राज्य में कितना अशिक्षा थी कि लोग किसी भी एक पार्टी पर विश्वास नहीं करते थे और नहीं विश्वास करने लायक कोई मुख्यमंत्री एवं पार्टी रही। जिसकी वजह से लोग किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिए और इस तरीके से निरंतर सत्ता का परिवर्तन होता रहा।
उस समय की आप बिहार की इतिहास का अध्ययन करेंगे तो पता चलेगा कि कोई एकात ऐसा मुख्यमंत्री है जो पांच साल का कार्यकाल पूरा किया हैं। नहीं तो अधिकतर मुख्यमंत्री पांच साल की कार्यकाल भी पूरा नहीं किए है तब तक दूसरे की बारी आ गई हैं।
बिहार में आठ बार जो राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, उसमें से तीन बार तो श्रीमान भोला पासवान शास्त्री जी के मुख्यमंत्री रहते हुए लगा। जबकि वही तीन बार लालू प्रसाद की परिवार की शासन काल में लगा है। जिसमें से एक बार लालू प्रसाद की समय में तो दो बार श्रीमती राबड़ी देवी के समय में। वही दो बार अन्य मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में लगा है, जिसमें से एक डॉ. जगन्नाथ मिश्र एवं दूसरे श्री राम सुन्दरदास की कार्यकाल में लगा है। उस समय बिहार का विकास नहीं बल्कि आम जनता के द्वारा दिए गए टैक्स का खर्च केवल चुनाव में हुआ।
2005 के बाद से बिहार में विकास होना शुरु हुआ जब बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार बने।
राष्ट्रपति शासन का तिथिवार विवरण:-
1) भोला पासवान शास्त्री
29 जून, 1968 से 26 फरवरी, 1969 तक
4 जुलाई, 1969 से 16 फरवरी, 1970 तक
9 जनवरी, 1972 से 19 मार्च, 1972 तक
2) डॉ. जगन्नाथ मिश्र
30 अप्रैल, 1977 से 24 जून, 1977 तक
3) राम सुन्दरर दास
17 फरवरी, 1980 से 8 जून, 1980 तक
4) लालू प्रसाद
31 मार्च, 1995 से 4 अप्रैल, 1995 तक
5) श्रीमती राबड़ी देवी
12 फरवरी, 1999 से 9 मार्च, 1999 तक
7 मार्च, 2005 से 24 नवंबर, 2005 तक।
लेख : जय लगन कुमार हैप्पी ⛳