बिषय भोग-
मनुष्य का मन बिषय भोगों की तरफ ज्यादा दौड़ता रहता है। और फिर मन उसी भोगो रमने लगता है।जो भोग चित् में समा जाते हैं,वे फिर चित् से निकलते नही है। और फिर मन उन्हीं की याद में डूबा रहता है। इसलिए मनुष्य को किसी भी भोगों में लिप्त नही होना चाहिए। जीवन यही भोग, मनुष्य को रोगी बना देते हैं!बिषय भोगों को,इस तरह से न भोगा जाये कि वह मन पर सवार हो जाये। इसलिए मनुष्य को अपने मन में जमें हुए कचरे को हमेशा साफ करते रहना चाहिए। और इस कचरे को साफ करने के लिए सत्संग की जरूरत पड़ती है।अगर आप प्रतिदिन सत्संग नही कर पा रहे हों तो आप प्रतिदिन कोई धार्मिक पुस्तकें पढ़ें। उससे आपका ज्ञान भी बढ़ेगा और मन भी शांत रहेगा।मन की प्रवृत्ति होती है,कि वह बिषय भोगों को भोगना चाहता है। और फिर मन जीव को भटका देता है। इसलिए मन को हमेशा अपने काबू में रखें।