बिश्राम नही…..।।.।पाता
केवल अपने को जीव समझता है बाकी सब निर.जीव है।वाह रे वाह इनसान कया सोच अजीब है।।जिनसे तेरी गति सुधरी .आज उन्हें मानता है देवता।फिर उन्हें पतथर की मूर्ति बना कर पूजता है।लेकर उन जीवों का सहारा.।तेरी नजरों मे बो बेचारा है।इसलिए कि आपकी शरण मे आये थे ।जिन वनस्पति यो ने दी आकसीजन।उसको ही जल चढ़ाता है।उससे ही कुछ माँगता है।बन कर सवार्थी सामने आता है।फिर अहंकार भर ता है।कयोकि तेरा जवाब वो दे नही सकते है। ईश्वर ने इन्हें बनाया है। समझने लगा है चतुर सुपर स्टार। धनवान जाने क्या-क्या समझता पर कहीं पहुंच नहीं पाता है। हमेशा ही चलता रहता है। क्योंकि ईश्वर की कृपा बिना कहीं भी विश्राम ना पाता है।