*बिरहा की रात*
बिरहा की रात
बिरहा की रात, सिली- सिली बुझती ज्वाला,
छूटी हुई बातें, खोयी हुई बातें।
अधूरी यादें, भूली हुई बातें,
रात के संगीत में, बिखरी हुई बातें।
रात की गहराइयों में, चाँदनी की किरणें,
दिलों की ताबीरें, बसी हुई यादों में।
बिरहा की रात, मन में उमंग,
सपनों की दुनिया, भरी हुई ख्वाबों में।।
पुष्पराज फूलदास अनंत