“बिन स्याही के कलम “
“बिन स्याही के कलम ”
कविता के रंग, कलम से न धूँढ़ो,
मन की गहराइयों से बातें लिखो।
प्रेम की बातें लिखो, खुशियों का संग,
कविता के ख्वाब, बिना स्याही के रंग।
“पुष्पराज फूलदास अनंत”
“बिन स्याही के कलम ”
कविता के रंग, कलम से न धूँढ़ो,
मन की गहराइयों से बातें लिखो।
प्रेम की बातें लिखो, खुशियों का संग,
कविता के ख्वाब, बिना स्याही के रंग।
“पुष्पराज फूलदास अनंत”