बिना तुम्हारे रह न सकूँगा
मेरी पलकों के साये में, ख़्वाब सजाकर तुम पलते हो ।
बिना तुम्हारे रह न सकूँगा, यदि कहते हो, सच कहते हो ।।
इन साँसों का साज अगर है, तो केवल इक अफ़साना है ।
बिना तुम्हारे जीवन मेरा, क्या है..? केवल बीराना है ।
इन साँसों के प्रहरी बनकर, तुम हर पल दिल में रहते हो ..
बिना तुम्हारे……………।।
मेरे हमदम समय मिले तो, पढ़ना कुछ पैगाम लिखा है ।
इन साँसों की पगडण्डी पर, एक तुम्हारा नाम लिखा है ।
मेरे जीवन का सूनापन, दूर तुम्ही बस कर सकते हो….
बिना तुम्हारे…………….।।
राहुल द्विवेदी