बिना डरे पकता नही,कभी प्रीति का आम
गठबंधन देता हमें. ……..यही एक पैगाम ।
बिना डरे पकता नही,कभी प्रीति का आम ।।
बैरी को भी जोड़ दे,भय का पक्का घोल ।
आगे जिसके फेल है,सचमुच फेविकोल ।।
रमेश शर्मा.
गठबंधन देता हमें. ……..यही एक पैगाम ।
बिना डरे पकता नही,कभी प्रीति का आम ।।
बैरी को भी जोड़ दे,भय का पक्का घोल ।
आगे जिसके फेल है,सचमुच फेविकोल ।।
रमेश शर्मा.