बिछड़ कर जीने की तरकीब बना ली हमने
बिछड़ कर जीने की तरकीब बना ली हमने
पीकर अश्क, लबों पर हंसी सजा ली हमने।
शिकवा न गिला हम तेरी बेवफाई का करेंगे
यह कसम आज तेरे सर की उठा ली हमने।
थे करीब कभी तुम्हारे हम, अब एक याद ही सही
नजदीकतन फासलों की महफिल सजा ली हमने।
तुमको कभी चाहा था, सपना समझ भुला देंगे
भुलाकर यादें पुरानी, नई यादें बना ली हमने।
तुमको मांगा था इक बार हमने दुआ में खुदा से
ख्वाबों को छोड़ हकीकत की दुनिया बसा ली हमने।