बिछाए जाल बैठा है…
बिछाए जाल बैठा है जो उसके दर नहीं जाना
नदी में डूब कर पाखंड की तुम मर नहीं जाना
तुम्हारी आत्मा में मोक्ष की सारी व्यवस्था है
किसी ढोंगी के चरणों मे झुकाने सर नहीं जाना
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
दिनांक -02/07/2024
बिछाए जाल बैठा है जो उसके दर नहीं जाना
नदी में डूब कर पाखंड की तुम मर नहीं जाना
तुम्हारी आत्मा में मोक्ष की सारी व्यवस्था है
किसी ढोंगी के चरणों मे झुकाने सर नहीं जाना
मुक्तक- आकाश महेशपुरी
दिनांक -02/07/2024