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3 Jul 2024 · 1 min read

बिछाए जाल बैठा है…

बिछाए जाल बैठा है जो उसके दर नहीं जाना
नदी में डूब कर पाखंड की तुम मर नहीं जाना
तुम्हारी आत्मा में मोक्ष की सारी व्यवस्था है
किसी ढोंगी के चरणों मे झुकाने सर नहीं जाना

मुक्तक- आकाश महेशपुरी
दिनांक -02/07/2024

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 269 Views

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