Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Apr 2023 · 1 min read

बिछड़ कर तू भी जिंदा है

बिछड़ कर तू भी जिंदा है
बिछड़ कर मैं भी जिंदा हूँ
मुझमें कहीं तू जिंदा है
तुझमें कहीं मैं जिंदा हूँ।

डॉ. दीपक मेवाती

1 Like · 448 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विद्वत्ता से सदैव आती गंभीरता
विद्वत्ता से सदैव आती गंभीरता
Ajit Kumar "Karn"
हे गणपति
हे गणपति
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
*चिकने-चुपड़े लिए मुखौटे, छल करने को आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
8) “चन्द्रयान भारत की शान”
Sapna Arora
शिकवे शिकायत की
शिकवे शिकायत की
Chitra Bisht
15. गिरेबान
15. गिरेबान
Rajeev Dutta
यूं सजदे में सर झुका गई तमन्नाएं उसकी,
यूं सजदे में सर झुका गई तमन्नाएं उसकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
Shashi kala vyas
पगली
पगली
Kanchan Khanna
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
बचपन मिलता दुबारा🙏
बचपन मिलता दुबारा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
संसार एवं संस्कृति
संसार एवं संस्कृति
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
ग़ज़ल _ असुरों के आतंक थे ज़्यादा, कृष्णा ने अवतार लिया ,
ग़ज़ल _ असुरों के आतंक थे ज़्यादा, कृष्णा ने अवतार लिया ,
Neelofar Khan
3292.*पूर्णिका*
3292.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
*मुर्गा की बलि*
*मुर्गा की बलि*
Dushyant Kumar
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
Keshav kishor Kumar
मेरा वजूद क्या है
मेरा वजूद क्या है
भरत कुमार सोलंकी
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
अपना सम्मान हमें ख़ुद ही करना पड़ता है। क्योंकी जो दूसरों से
अपना सम्मान हमें ख़ुद ही करना पड़ता है। क्योंकी जो दूसरों से
Sonam Puneet Dubey
साधारण असाधारण
साधारण असाधारण
Shashi Mahajan
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
पूर्वार्थ
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
इसलिए भी मेरे ख़ूँ में वतन-परस्ती आई है
Trishika S Dhara
शायरी
शायरी
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
राह कठिन है राम महल की,
राह कठिन है राम महल की,
Satish Srijan
Loading...