बिगड़ी ताहि बनाइये
राह सुगम सबकी करो, पथ को देउ बुहार।
कंकड़ पत्थर बीन कें, कंटक देउ निकार ।।
बिगड़ी ताहि बनाइये, यदि सम्भव है जाय ।
सुखी होयेगी आत्मा, जो इज्जत रह जाय ।।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
राह सुगम सबकी करो, पथ को देउ बुहार।
कंकड़ पत्थर बीन कें, कंटक देउ निकार ।।
बिगड़ी ताहि बनाइये, यदि सम्भव है जाय ।
सुखी होयेगी आत्मा, जो इज्जत रह जाय ।।
जयन्ती प्रसाद शर्मा