बिखरी बिखरी जुल्फे
उसकी बिखरी सी जुल्फें, बेचैन मुझे कर देती थी
मेरे खाली से दिल में, जीभर के सुकूं भर देती थी
उसकी बिखरी – सी ………
1) वो हंसती तो लगता जैसे, फूल खिले हों गुलशन के
वो बोले तो लगता जैसे, बोल हैं मीठे कोयल के
उसकी सूरत दिलों ज़िगर का, चैन चुरा सा लेती थी
उसकी बिखरी सी ……….
2) कानों में झुमकी हाथों में कंगन, सुन्दरता की मुरत थी
कोई अप्सरा आई स्वर्ग से, ऐसी उसकी सूरत थी
आँँखों में काजल होठों पर लाली, खुशी हजारों देती थी उसकी बिखरी सी………..
3) बदन था चंदन जैसा उसका, सोने जैसा निखरा रूप
करूं वंदना सूर्य देव की, लगे ना उसको थोड़ी धूप
चंचल चितवन लगे कयामत, दिल वालों की चहेती थी
उसकी बिक्री सी………..
लेखक खैम सिंह सैनी
गोविंदपुरा, वैर भरतपुर
मो.न. 9266034599