बिखरा
सबकुछ बिखरा बिखरा सा लगता है
सबकुछ उखड़ा उखड़ा सा लगता है
डूब रहा है आदमी जिस कदर मतलब में
हर परिन्दा खुद से जुदा जुदा सा लगता है
ख्वाहिशें बड़ रही हैं हौले हौले इन्सान की
और खुशियों में मातम लगा सा लगता है
यूँ तो कोई कमी नहीं दुनियां में दिलबरो की
प्रतिभा नसीब में ही खोट बद्दुआ सा लगता है