लिखे लेखनी छंद
मातु शारदे को सुमिर , …..लिखे लेखनीं छंद !
भाव शब्द कुसुमित हुए , बिखरा मधु मकरंद !
लग जाए जज्बात का,अगर सुगंधित छौंक,
पाठक पढ प्रमुदित मना ,पावे परमानंद ! !
रमेश शर्मा.
मातु शारदे को सुमिर , …..लिखे लेखनीं छंद !
भाव शब्द कुसुमित हुए , बिखरा मधु मकरंद !
लग जाए जज्बात का,अगर सुगंधित छौंक,
पाठक पढ प्रमुदित मना ,पावे परमानंद ! !
रमेश शर्मा.