बासन्ती मुक्तक
??बासन्ती मुक्तक??
धरती ने नव वसन धरे,
सज गये दिग दिगन्त
शीत तिमिर ओझल हुआ,
जीवन में उगा बसंत||१||
संचित मन में यदि करें,
बासन्ती उल्लास
दुःसह पड़ेंगे फिर नहीं,
कटु समय के पाश||२||
अज्ञानता है कर रही,
ताण्डव चहुँ ओर
पुनः प्रकट हों शारदा,
लेके ज्ञान का भोर||३||
मात सरस्वती आपका,
हो जन पर उपकार
मिट जायें संशय सारे,
हो हिय बसंत साकार||४||
सुख,समृद्धि,ज्ञान,बल,
और उत्साह अपार
पाँचों पायें आप सब,
पंचमी के त्योहार||५||
✍हेमा तिवारी भट्ट✍