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14 Nov 2024 · 1 min read

बाल दिवस

कोमल कंधे बस्ता भारी
बचपन की कैसी लाचारी

डाल रहे हैं क्यों बच्चों पर
हम सब इतनी जिम्मेदारी

मोबाइल पर खेल खेलकर
बीत रही बचपन की पारी

नहीं पार्क में अब दिखती है
बच्चों की साझा किलकारी

होता है अपराध बालश्रम
मगर कर रही दुनिया सारी

मातापिता घर देखें कैसे
ऑफिस की है मारा मारी

नौकर पर परिवार पले जब
बच्चे कैसे हों संस्कारी

बच्चों पर सख्ती करनी है
लेकिन रखनी भी है यारी

सोच ‘अर्चना’ बच्चों के हित
बाल दिवस की हो तैयारी

डॉ अर्चना गुप्ता
14.11.2024

Language: Hindi
1 Like · 53 Views
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