बाल दिवस पर बच्चों की विवशता
भले ही आज बाल दिवस है,
पर हम सब आज विवश है।
किताबी बोझ से लदे हुए है,
होम वर्क से हम लदे हुए है।।
इन सबके आगे विवश हुए है,
भले ही आज बाल दिवस है।।
पढ़ पढ़ कर चश्मे चढ़े हुए है,
स्कूल फीस के दाम बढ़े हुए हैं।
सुबह सुबह उठकर हम सब,
बस पर चढ़ने को विवश हुए है।
भले ही आज बाल दिवस है।।
सुबह सुबह हम बस पर चढ़ते है,
ड्राइवर कंडक्टर भी सब चलते है।
रास्ते में हम सब जाम में फंसते,
फिर भी स्कूल जाने को विवश है,
कहते सब आज बाल दिवस है।।
कैसे खेले कूदे इन सबके आगे,
सब चल रहे अब आगे ही आगे।
खेज कूद के मैदान अब कहां है,
घर में ही रहने को आज विवश है
कहने को तो आज बाल दिवस है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम