बाल गीत
बाल गीत
बालक का जीवन अच्छा,
हृदय है शुद्ध और सच्चा,
नहीं हृदय बैर समाए,
इनकी मधुर मुस्कान सदा ही
औंरो को लुभाए।
कभी रोए,कभी हंस जाए।
कभी रूठे,कभी मान जाए
उछले कूदे खूब कभी,
झगड़े की बारात लाए।
इनको कहीं भी चैन नहीं,
न दिन है न रैन कहीं।
इनके भोले मुखड़े सदा ही
खुशियां खूब बरसाए।
बालक ही जीवन अच्छा,
हृदय शुद्ध और सच्चा।
धन -दौलत का लोभ नहीं,
जीने-मरने का क्षोभ नहीं।
जितना मिले संतुष्ट रहे,
कूद-कूद के पुष्ट रहे।
इनको कभी थकान नहीं,
और मुरझाई मुस्कान नहीं।
इन सब की किलकारी सदा ही
आंगन फूल बरसाए।
बालक का जीवन अच्छा,
हृदय शुद्ध और सच्चा।
नहीं हृदय बैर समाए,
इनकी मधुर मुस्कान सदा ही,
औरों को लुभाए ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश