बाल गीत सर्दी ने अब दस्तक दी है
सादर संप्रेषित है एक बाल- गीत
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सर्दी ने अब दस्तक दी है।
सूरज बाबा हांप रहे हैं।
मुनिया को सर्दी ने जकड़ा
टिल्लू विल्लू कांप रहे हैं।
बबुआ ठिठुर रहा सर्दी में,
दिखें सिपाही भी वर्दी में।
चौराहे पर सभी नागरिक,
बैठे-बैठे ताप रहे हैं।
मैं भी कांपूं, बबुआ कांपे,
कांप रहा है सकल ज़माना।
और ठंड की बेरहमी ने,
तोड़ दिया है सब पैमाना।।
और लैब में बैठे ज्ञानी,
तापमान को नाप रहे हैं।
मम्मी पापा, काका काकी,
सभी रजाई में बैठे हैं,
कैसे निकलें घर के बाहर,
हाथ-पैर सब ही ऐंठे हैं।।
कब चमकेंगे सूरज बाबा,
लगा टकटकी जाप रहे हैं।
?अटल मुरादाबादी✍️