*बाल गीत (सपना)*
बाल गीत (सपना)
देखा आज सुघर सा सपना।
हाथी घोड़ा और खिलौना।
और मिठाई की दुकान थी।
खाने की इच्छा होती थी।।
हाथी ने मुझको दौड़ाया।
बड़े जोर से वह चिल्लाया।।
डर के मारे भाग रहा मैं।
जान बचा कर दौड़ रहा मैं।।
घोड़ा कहता तुम मत डरना।
हाथी से कुछ नहीं बिगड़ना।।
जाग गया मैं स्वप्न टूटते।
हँसता रहता खूब जागते।।
अधिक भयानक स्वप्न दिखा था।
यह कैसा संयोग लिखा था??
खट्टा मीठा यह सपना था।
या यह झूठा सा सपना था??
साहित्यकार ऋतुराज वर्मा