बाल कहानी- रोहित
बाल कहानी- रोहित
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रोहित अपने पिताजी से कहता है कि,”पिताजी मेरा मन बिस्किट खाने का है, आप मुझे पैसे दे दीजिए। मैं अपने लिए और छोटी बहन के लिए बिस्किट लाना चाहता हूँ।”
रोहित के पिताजी ने रोहित को दस रुपये दिये और कहा कि,”दो पैकेट बिस्किट ले आओ। एक तुम ले लेना। एक अपनी छोटी बहन को दे देना। रोहित पास की दुकान में गया। वहाँ से उसने पाँच रुपये के दो बिस्किट दस रुपये में खरीदे और घर की ओर चल दिया। घर आते वक्त रोहित का पैर फिसला और एक पैकेट बिस्किट नाली में जा गिरा। रोहित ने तुरंत नाली से बिस्किट उठा लिया। जेब से रुमाल निकालकर रोहित ने बिस्किट के पैकेट को साफ किया और घर की ओर चल दिया। घर पहुँचकर वह सोच में पड़ गया कि कौन सा बिस्किट वह अपनी छोटी बहन को दे? हालाँकि बिस्किट के पैकेट पर लगी गंदगी रोहित अपने रुमाल से साफ कर चुका था, पर रोहित को अपने अध्यापक की बात याद आ रही थी कि- जो अपने लिए पसंद करो, वही दूसरों के लिए पसंद करो। रोहित ने सोचा- यह तो अपनी छोटी बहन है। हम जो भी अपने लिए पसंद करें, वही दूसरों के लिए पसंद करें। जब मैं यह बिस्किट नहीं खा सकता तो मैं अपनी छोटी बहन को क्यों दूँ? उसने छोटी बहन को नाली में गिरा हुआ बिस्कुट न देकर साफ बिस्कुट दिया और दूसरा उसने रख दिया। उसने पिता जी से सारी बात बता दी। पिताजी ने रोहित की पीठ थपथपाई। विद्यालय के शिक्षक की भी तारीफ की और खुद जाकर दुकान से रोहित के लिए बिस्किट लाये। रोहित बिस्किट पाकर बहुत खुश हुआ।
शिक्षा
जो चीज हमें पसंद न हो, वह हमें दूसरों को देने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
शमा परवीन, बहराइच (उ० प्र०)