बाल कहानी-पूजा और राधा
बाल कहानी- पूजा और राधा
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बात उन दिनों की है, जब गाँव में मेला लगा था। मेले में तरह-तरह की दुकानें सजी थी। कई प्रकार के झूले मेले की शोभा बढ़ा रहे थे। मिठाईयों की दुकानें भी लगी थी। राधा अपने बड़े भाई राकेश के साथ मेला देखने गयी थी। राधा को झूला झूलना बहुत पसंद था। राधा ने मन-पसंद झूला झूला और बहुत सारे खिलौने खरीदे।
उसी मेले मे एक बच्ची अपनी अम्मी के साथ चुपचाप मेले में घूम रही थी उसका नाम पूजा था। पूजा के हाथ में कोई खिलौना नहीं था। राधा के पास बहुत सारे खिलौने देखकर पूजा अपनी अम्मी से खिलौने लेने की जिद करने लगी।
पूजा की अम्मी ने प्यार से समझाते हुए कहा-,”बिटिया! तुम्हारे पापा शहर गये हैं किसी जरूरी काम से, जैसे ही आ जायेगें, बहुत सारे खिलौने लिवा लेना और हाँ, बिटिया! तुमने तो वादा किया था कि अम्मी मेले में घूमने चलिए, हम किसी चीज़ के लिये कोई जिद नहीं करेंगे, इसलिए हम तुम्हें मेला दिखाने आये है, अब तुम खिलौने लेने की जिद कर रही हो, तुम अपना वादा कैसे भूल गयी?”
पूजा को अम्मी से किया हुआ वादा याद आया। पूजा ने बिना देरी किये तुरंत अम्मी से माफ़ी माँगी और चुपचाप आखों में आँसू लिए राधा के खिलौने देखने लगी।
रात काफी हो गयी थी। राधा ने भाई राकेश से कहा-,”भाई! अब घर चलिए। सुबह स्कूल भी समय से जाना है।”
राकेश और राधा घर जाने लगे। रास्ते में पूजा और उसकी अम्मी फिर मिल गयी। इस बार राधा ने पूजा को कुछ खिलौने उपहार स्वरूप दे दिये। खिलौने पाकर पूजा बहुत खुश हुई। पूजा को खुशी देकर राधा भी बहुत खुश हुई।
शिक्षा
हमें किसी को रोते या परेशान देखकर, कारण जानकर उसकी मदद जरुर करनी चाहिए।
शमा परवीन, बहराइच (उ०प्र०)