Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2023 · 2 min read

बाल कहानी- अधूरा सपना

बाल कहानी- अधूरा सपना
——————

बात उन दिनों की है, जब मैं बहुत छोटा था। मैं तकरीबन बारह साल का था। मैं उस समय कक्षा सात का छात्र था। मुझे अच्छी तरह से याद है। घर के पास ही एक प्राइमरी स्कूल था, जिसमें मेरा छोटा भाई कक्षा पाँच और छोटी बहन कक्षा तीन में पढ़ती थी।उसके कुछ ही दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय था, जहाँ मैं कक्षा सात में पढ़ता था। मैं पढ़ने में बहुत अच्छा था। मैं प्रतिदिन समय पर विद्यालय जाता था। मेरी आखों में बहुत से सपनें थे, जिन्हें मुझे पढ़-लिखकर पूरा करना था।
विद्यालय में सभी शिक्षक बहुत मेहनत से पढ़ाते थे। एक दिन शिक्षक कक्षा में सभी से प्रश्न पूछ रहे थे कि-, “बताओ! आप बड़े होकर क्या बनोगे? जब मेरी बारी आयी और मुझ से पूछा गया-, “सोनू! बताओ तुम बड़े होकर क्या बनोगे? क्या सपने हैं तुम्हारे? कुछ सोचा हैं कि नहीं?”
मैनें बहुत उत्साह और विश्वास के साथ उत्तर दिया कि-, “मैं बड़ा होकर डाक्टर बनूँगा।”
गाँव में ही अस्पताल खोलूँगा। सभी की खूब सेवा करुँगा। अपने साथ-साथ परिवार, समाज और देश के लिये इस सपने को साकार करुँगा। खूब मेहनत से पढ़ाई करुँगा, ताकि मेरा सपना समय पर पूरा हो सके।” मेरी बात सुनकर सभी ने ताली बजायी। उसके बाद छुट्टी का समय हो गया मैं विद्यालय से घर आ गया। घर आके देखता हूँ कि माँ और पिताजी सामान पैक कर रहें हैं।
उन्होंने मुझ से भी तैयार होने को कहा। मैं भी तैयार हो गया। कुछ देर बाद हम सब सफ़र करने लगे। इससे पहले मैं कुछ पूछता, मेरे भाई बहनों ने बताया कि हम सब लोग नानी के यहाँ शहर जा रहे हैं। मुझे लगा कि हम सब लोग कुछ दिनों के लिए घूमने जा रहे होगें, फिर वापस आ जायेंगे, पर नहीं मेरी सोच गलत थी।
कुछ दिनों के बाद पिता जी ने शहर में ही एक होटल खोल लिया। उस होटल में वह समोसा बेचने लगे और मैं उनके साथ काम करने लगा। मेरे सारे सपने टूट गये।
कुछ साल के बाद पिता जी बीमार हो गये। सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी। मैं पूरी ईमानदारी से पिता जी का अधूरा काम पूरा करने लगा।
इस तरह से मेरी पढ़ाई अधूरी रही। मैनें अपने छोटे भाई बहन का नाम पास के ही स्कूल में लिखवा दिया। घर की जिम्मेदारी, पिता का इलाज़ का खर्च पूरा करने के लिये मेरे दिन रात होटल पर ही बीतते रहे। भाई-बहन की फीस भी मैं समय पर देता रहा। मैं खुद नहीं पढ़ सका, पर भाई-बहन को पढ़ा दिया।
आज मेरी उम्र 30 साल की है।
मेरा आज भी मन करता हैं कि मैं स्कूल जाऊँ, पर सच ये हैं कि मेरा सपना अधूरा रह गया।

शिक्षा
हमें अपने सपने के बारे में घर के बड़ों को समझाने का प्रयास करना चाहिए ताकि बाद में पछतावा न रहे।

शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

1 Like · 170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सत्य वह है जो रचित है
सत्य वह है जो रचित है
रुचि शर्मा
गीत
गीत
Shiva Awasthi
4514.*पूर्णिका*
4514.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"बेचारा किसान"
Dharmjay singh
मन में संदिग्ध हो
मन में संदिग्ध हो
Rituraj shivem verma
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
Ranjeet kumar patre
दोस्ती
दोस्ती
Dr.Pratibha Prakash
Bad in good
Bad in good
Bidyadhar Mantry
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
Santosh kumar Miri
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
It’s all a process. Nothing is built or grown in a day.
It’s all a process. Nothing is built or grown in a day.
पूर्वार्थ
*अब लिखो वह गीतिका जो, प्यार का उपहार हो (हिंदी गजल)*
*अब लिखो वह गीतिका जो, प्यार का उपहार हो (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
कवि रमेशराज
जाने के बाद .....लघु रचना
जाने के बाद .....लघु रचना
sushil sarna
*📌 पिन सारे कागज़ को*
*📌 पिन सारे कागज़ को*
Santosh Shrivastava
कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिफल चलता रहता है
कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिफल चलता रहता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*नुक्कड़ की चाय*
*नुक्कड़ की चाय*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तुमसे मोहब्बत है
तुमसे मोहब्बत है
Dr. Rajeev Jain
इस बार
इस बार "अमेठी" नहीं "रायबरैली" में बनेगी "बरेली की बर्फी।"
*प्रणय*
ସକାଳ ଚା'
ସକାଳ ଚା'
Otteri Selvakumar
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कितनी निर्भया और ?
कितनी निर्भया और ?
SURYA PRAKASH SHARMA
यायावर
यायावर
Satish Srijan
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहे -लालची
दोहे -लालची
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"खुदा रूठे तो"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...