शिक्षक (बाल कविता)
शिक्षक (बाल कविता)
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ईश्वर से पहले शिक्षक को
आओ शीश झुकाऍं
(1)
विद्यालय में हमें पढ़ाने
शिक्षक जी आते हैं,
भाँति -भाँति की ज्ञान-पुस्तकें
हमको समझाते हैं।।
यह कर्तव्य हमारा
रोजाना विद्यालय जाऍं।।
ईश्वर से पहले शिक्षक को
आओ शीश झुकाऍं।।
(2)
शिक्षक जी को देखो
कितने सत्य-सदाचारी हैं,
नैतिकता-अनुशासन के
यह सात्विक व्रतधारी हैं ।।
इनके सद्गुण जीवन में
हम बालक भी अपनाऍं।।
ईश्वर से पहले शिक्षक को
आओ शीश झुकाऍं।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451