बाल कविताएंँ
१)
खोटा एक बिलौटा आया
छीन बिल्ली से रोटी लाया।
खूब पिया उसने रूहअफ्ज़ा,
छोड़ा रोटी पर नहीं कब्जा ।
बंदर मामा बड़ा सायाना,
याद दिलाएगा उसे नाना।
आया बंदर के मुँह पानी,
गढ़ी तुंरत उसने इक कहानी।
बोला निर्णायक मुझे बनाओ
लड़ो नहीं,मत शोर मचाओ!
बोल उठे बिल्ली बिलैया
न्याय करो तुम बंदर भैया।
सुनकर यह बंदर हर्षाया
रोटी को पूरा हथियाया!
टुकड़े टुकड़े कर खा गया रोटी
बिल्ले संग रही बिल्ली रोती।
नीलम शर्मा ✍️
२)
जग-मग जग-मग कितने सारे,
नभ पर चमके झिलमिल तारे।
मन करता है मैं ले आऊँ !
माँ के आँचल में ये सारे।
टिमटिम- टिमटिम आँख भींचते
जैसे नटखट बच्चे प्यारे।
खेलें-कूदें आसमान में
भोर हुए छिपते हैं सारे।
सभी बच्चों का दिल बहलाते
मिल- जुलकर अंबर चमकाते।
मानव को नित याद दिलाएँ
प्रदूषण मुक्त नभ नया बनाएँ।
नीलम शर्मा ✍️
३)
सब पढ़कर बनो महान।
बच्चों पढ़ने में ही शान ।
दोहे श्लोक कंठस्थ करो,
तुम प्राप्त करो सब ज्ञान ।
गर्व करें माता-पिता भी
जग में रौशन करदो नाम !
पढ़कर सफल इंसान बनो,
तुम छोड़ो काम नादान ।
गुरुग्रंथ साहिब,बाइबिल,गीता
चाहे पढ़लो कुरान !
कर्मठ के लिए कर्म ही पूजा,
कहते सब वेद पुराण ।
नीलम शर्मा ✍️
४)
बादल चाचा घड़ -घड़ करके,
खेल रहे क्यों पानी में।
हो जाओगे बीमार सुनो तुम,
वर्षा की मनमानी में।।
रिमझिम बूँदों की पहन पैंजनिया,
वर्षा खूब इठलाती है।
इसीलिए क्या घुमड़ -घुमड़ के
ढोल दुंदुभी बज जाती है?
बादल चाचा बिजली चाची
क्यों गुस्से से हैं हुई लाल ?
सच बतलाओ कैसे लंगड़ी
हुई आप की मस्त चाल ?
क्या वर्षा रानी के कारण,
रूठे आपके सूरज भैया।
गरज -गरज बिजली चाची ने,
खूब कराया क्या तुम्हें ता -थैया!
जो भी है पर धरा पर सारे,
मस्ती में खुशहाल हैं।
देख फुदकते मैंढक मौसा को
मकड़ी ने छोड़ा जाल है।
हँसते-हँसते मछली मौसी का
हाल हुआ बेहाल है!
हो हुल्ला कर नाव चलाते
नन्हें बाल -गोपाल हैं।
नीलम शर्मा ✍️