बारिश के बूंदों की लालसा
तेरी बूंदों की टप-टप को सुनने को तरस गए हम प्राणियों के कान,
गर तो आज,अभी और इसी समय ना बरसी ,तो निकल जायेंगे हमारे तन से प्राण .
तेरी बूंदों की टप-टप को सुनने को तरस गए हम प्राणियों के कान,
गर तो आज,अभी और इसी समय ना बरसी ,तो निकल जायेंगे हमारे तन से प्राण .