*बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)*
बारिश के गुण गाओ जी (बाल कविता)
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छम-छम-छम-छम पानी बरसा, बारिश के गुण गाओ जी
गरमा- गरम पकौड़ी खट्टी-चटनी के सॅंग खाओ जी
/2/
यह कुदरत का अजब नजारा, देख देख हर्षाओ जी
बरस रही बारिश शहनाई -जैसी सुनते जाओ जी
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सोचो किसने रची धरा यह ,नभ बादल बरसाते हैं
परमपिता वह निश्चित ही है ,उसको शीश झुकाओ जी
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451