बारिश ए मोहब्बत।
तेरे नाम को कलमे सा पढ़ने लगा हूं।
यूं कुछ तू मुझमें मज़हब सा पनपने लगा है।।
बारिश ए मोहब्बत में भीगने लगा हूं।
यूं लगे तू मुझपे अब्रेआब सा बरसने लगा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
तेरे नाम को कलमे सा पढ़ने लगा हूं।
यूं कुछ तू मुझमें मज़हब सा पनपने लगा है।।
बारिश ए मोहब्बत में भीगने लगा हूं।
यूं लगे तू मुझपे अब्रेआब सा बरसने लगा है।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️