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9 Jun 2022 · 1 min read

बाबू जी

सुधियों संग बुढ़ापा काटें, तन्हाई में बाबू जी।
दुखी हो गए भित्ति उठी जब,अँगनाई में बाबू जी।।1

दुबक गए हैं घर के अंदर,साथ नहीं देती काया,
पाए जाते थे जो कल तक,अमराई में बाबू जी।।2

टूटे-थके बिना वे घर की ,इच्छा पूरी करते थे,
आज समझ में आया कैसे,मँहगाई में बाबू जी।।3

चाहे जैसी बने परिस्थिति,रहते थे निर्भीक सदा,
चलते हरपल साथ हमारे ,परछाई में बाबू जी।।4

संध्या पूजन भजन आरती,या पारायण मानस का,
भाव सरीखे दिखे समाहित ,चौपाई में बाबू जी।।5

आज जहाँ तक पहुँचे हैं हम,शिक्षा-दीक्षा उनकी है,
घर के हर सदस्य की देखो ,अँगड़ाई में बाबू जी।।6

आँसू पोंछे सबके हरदम ,बने हमेशा ढाल रहे,
आशीर्वाद आज भी देते, शहनाई में बाबू जी।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय

5 Likes · 6 Comments · 208 Views
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