बाबूजी के बचाये हुए पैसे
बाबूजी के बचाये हुए पैसे
छोटे परिवार में बेटे-बहू सरकारी नौकरीपेशा, महीने चालीस पचास हजार की आय, जो गांव देहात के लिए पर्याप्त है। माँ-बाप ने गरीबी और खराब माहौल के भारी प्रदूषण से बेटे को तराशा, हीरा बनाया था। क्या नहीं किया उन्होनें? सब कुछ जो कर सकते थे, किसान पिता का अपनी खेती से दुसरो की मजदूरी तक। एक-एक पैसा कमाया और बचाया, यही मजबूरी आज आदत हो गयी जो बेटे को पसंद नही। बेटा उनको समझाता है पांच-दस में क्या रखा है, पांच-दस से क्या होगा…आदि। किन्तु माँ बाप कहाँ मानते उन्होंने एक-एक पैसा से ये हीरा तराशा है।
वेतन आते ही लग्जरी समान आ जाते। महीने की तनख्वाह फिर मिली, इस बार नई स्कूटी घर आयी। पखवाड़ा शेष था कि अचानक बीमा की क़िस्त का आगमन..पुराना बकाया, लेप्स हो चुका था। उसका रिनीवल जरूरी था वरना जमा पूंजी मुसीबत में आ जाती। घर मे बचे रुपयों को जोड़ा गया, 7 हजार कम पड़े, सबके चेहरे में शिकन, हो भी क्यो ना…सरकारी दांव पेंच में फंसना, जमा पूंजी के मिलने न मिलने की उलझन, और कई सवाल। दुसरो से उधारी मांगने की बनी। उधारी कोई भी देता सरकारी तनख्वाह जो है किंतु गाँव में जहाँ फसल कटने पर किसान वेतन पाते हैं उनके लिए बड़ी रकम थी। कुछ हाथ खड़े कर दिए। तभी बाबूजी खेंतों से आए, स्थिति को भाँपा…फिर अपनी पोटली निकाली। जमा पांच-दस रुपये जो सौ-पचास हो गए थे, उनकी गिनती किये। बेटा उत्सुकता से देखता रहा….पूरे 11 हजार, सबके चेहरे में खुशी आयी घर के इस ग्रामीण बैंक से…..।
तनख्वाह से कम लेकिन बेशकीमती, इन पैसों ने बेटे की आंखे खोलते हुए इनमें लक्ष्मी के प्रति सम्मान की मोतियाँ भर दी । बेटा सोचता रहा, कैसे खर्च करूँ इनको, कोई धरोहर से कम नही है……..बाबूजी के बचाये हुए पैसे ।
लेखक:-
दाता राम नायक “DR”
ग्राम- सुर्री, पो.आ.- तेतला, तह.- पुसौर
जिला – रायगढ़ (छत्तीसगढ़) 496100
मोबाइल नंबर- 7898586099