Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2018 · 3 min read

बाबाओं का भंडाफोड़ (डर रहित भक्ति की ओर)

पापाजी कथा देख रहे थे। बोले ये कथावाचक तो जबरदस्त है। टीवी स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहे नंबर पर कॉल लगाया। बोले जी कथा करवानी है कितना खर्चा आ जायेगा। पापाजी ने जब मुझे बताया तो मैं दंग था। आप भी सुनेंगे? तो सुनिये कीमत थी ’15 लाख’।

सुनकर मैं अंदर तक हिल गया। आखिर भगवान् की कथा इतनी महंगी कैसे हो गयी। मतलब साफ था अगर कोई आदमी ग़रीब हो तो वह कथा करवाने का बिलकुल हकदार नहीं हैं। इसके लिए उसे अमीर होना पड़ेगा। जजमान बनना पड़ेगा। कैसा ढोंग है ये? कैसा पाखंड है? ये चल क्या रहा है? क्या भक्ति आजकल इतनी महंगी है?

आस्था रखना अच्छी चीज है। इससे बराबर ताकत मिलती रहती है। लेकिन आज समाज के इन धार्मिक ढोंगियों पर फिर लिखना चाहता हूँ। अभी भी समय है कृपया सम्भल जाये। नहीं तो आप आजीवन भ्रमित होकर जीते रहेंगे। जरा समझिये मेरी बात को जब आप किसी कथावाचक के पास कथा सुनने जाते है – जहाँ हज़ारों लाखों की भीड़ जुटी होती है – सोचिये आप वहां क्यों जाते है? भगवान् को पाने के लिए। सही बात हैं। तब तक सही बात है जब आप भगवान् की कथा सुनकर भगवान् के बारे में सोचते है। लेकिन यह क्या ? कुछ दिनों बाद आप भगवान् को भूलकर कथावाचक को ही भगवान् मान बैठते है, उसे ही कृष्ण और राम मान बैठते है। बस यहाँ मुझे बुरा लग जाता हैं। मैं पूछता हूँ आप स्कूल क्यों जाते है? आप कहेंगे शिक्षा प्राप्त करने के लिए। तो जब आप पढाई कर बाहर निकलते है तो अपने मास्टर की फ़ोटो की सुबह-शाम आरती तो नहीं करते है? हां , गुरु है तो उनका सम्मान जरुरी है, लेकिन सिर्फ उन्हीं को तो लक्ष्य नहीं बना लेते है। बिलकुल नहीं। आप उन्हें याद जरूर करते है लेकिन आजीवन विद्या ही आपके साथ रहती है। यह वही चीज़ है जिसके लिए आप स्कूल गये थे। गुरूजी की फोटो के आगे हाथ जोड़ने से तो पढाई नहीं आएगी ना, आएगी तो अपने गहन अध्ययन से। गुरु बस एक माध्यम हैं।

मैं यही बात समझाना चाहता हूँ की आप पाने गये थे भगवान् को, और पूजने लगे इन गुरुओं को। इन्ही को ही आप भगवान् समझ बैठे। तब तक इनसे लेते रहो, जब तक ईश्वर प्राप्ति का मार्ग ये बताते रहे। लेकिन जैसे ही आपको लगे की आप इनके प्रभाव में आ रहे हो, और मूल विषय से भटक रहे हो, तुरंत इनको छोड़ दीजिए।

मैं आशाराम, रामरहीम, नित्यानंद, रामपाल इन सबके उदाहरण बिलकुल नहीं देना चाहता क्योंकि आप निसंदेह कहेंगे कि सारे एक जैसे नहीं होते। आप सही हैं। लेकिन मेरे विषय को पकड़िये। यहाँ एक ऐसे प्रभाव की बात हो रही है जो आपको इन गुरुओं की फ़ोटो घर में रखने को विवश कर देता हैं।

अगर आज मेरी बात आपको ठक से दिल पर लगी हो तो छोड़िए इन्हें भगवान् मानना। ज्ञान जरूर लीजिये, कथा जरूर सुनिये, भजन जरूर सुनिये लेकिन जिसकी कथा सुन रहे हो भगवान् सिर्फ वही हैं। जैसे ही आपको लगे की आप इनकी जकड़ में आ रहे है, तुरंत इनको छोड़ खुद प्रभु को सुमरिये।

भगवान् सिर्फ भावना के भूखें है, प्यार के भूखे है। हर इंसान में ख़ुद भगवान् हैं। इन गुरुघंटालों के पास क्यों अपने दुखी आत्मा होने के सबूत को आप पक्का करते हो। अरे आप तो स्वयं पूर्ण हो, अनंत हो, ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ हो। फिर डरते क्यों हो? जब कोई दुःख आये तुम सीधे उस व्यवस्था को पुकारों.. राम को पुकारों..कृष्ण को पुकारों.. भावना सच्ची है तो वो कभी हमारी रक्षा करने से नही चूकते। तो आज से छोड़िए इन अत्याधुनिक, टेकनीक से लैस, गुरुघंटालों का साथ.. और जपिये मुक्त होकर सिर्फ अपने भगवान को…

जय श्री राम?
#नीरज_चौहान लिखित

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 4 Comments · 415 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*पानी केरा बुदबुदा*
*पानी केरा बुदबुदा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
ओसमणी साहू 'ओश'
* आ गया बसंत *
* आ गया बसंत *
surenderpal vaidya
बड़ी तक़लीफ़ होती है
बड़ी तक़लीफ़ होती है
Davina Amar Thakral
हमारे प्यार की सरहद नहीं
हमारे प्यार की सरहद नहीं
Kshma Urmila
मेरा भारत जिंदाबाद
मेरा भारत जिंदाबाद
Satish Srijan
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
कवि रमेशराज
4618.*पूर्णिका*
4618.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अभिनेता बनना है
अभिनेता बनना है
Jitendra kumar
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
अशोक कुमार ढोरिया
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
Ranjeet kumar patre
तेरे इश्क़ में थोड़े घायल से हैं,
तेरे इश्क़ में थोड़े घायल से हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
Sanjay ' शून्य'
बदनाम से
बदनाम से
विजय कुमार नामदेव
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
Seema gupta,Alwar
■दूसरा पहलू■
■दूसरा पहलू■
*प्रणय*
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*अयोध्या के कण-कण में राम*
*अयोध्या के कण-कण में राम*
Vandna Thakur
नवगीत - बुधनी
नवगीत - बुधनी
Mahendra Narayan
६४बां बसंत
६४बां बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
कविता
कविता
Shiva Awasthi
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
पूर्वार्थ
एक बार ऐसा हुआ कि पति-पत्नी के बीच किसी छोटी सी बात पर झगड़ा
एक बार ऐसा हुआ कि पति-पत्नी के बीच किसी छोटी सी बात पर झगड़ा
Rituraj shivem verma
ये तुझे पा लेने की चाहत ही है।
ये तुझे पा लेने की चाहत ही है।
Rj Anand Prajapati
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वक्त
वक्त
Jogendar singh
Loading...