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26 Apr 2024 · 1 min read

बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है

बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
यूँ समझ लो सर की अपने पगड़ी देने जा रहा है
नौकरी पाने की खातिर चलते-चलते जो घिसी
भीख में चप्पल वही तो टूटी देने जा रहा है
लिखने वाला है ग़ज़ल वह दूसरे के नाम पर
जैसे मांझी दाँव में ही कश्ती देने जा रहा है
देख कर चेहरे की रंगत साफ ये लगता है कि
आदमी सच्चा… गवाही झूठी देने जा रहा है

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