Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2022 · 1 min read

बानी बेरोजगार हमके रोजगार चाही।।।

बानी बेरोजगार हमके रोजगार चाही
देश मे युवा के खोजदार चाही,

मैट्रिक कइनी इंटर कइनी B.Sc 17 के पास हई
देह से करिया बानी लेकिन दिल के साफ हई,

माई,बाबू पुछेला कब ले बबुआ,पढ़ब,
का हमनी के जीवन मे तू नोकरी करब

आंख भर आवेला जब अइसन उ पुछेले
हमरो दरद कबो-कबो हमर माई-बाबू,बुझेलें

दिआईल इक्जाम कवगो ओकर रिजल्ट अभी पेंडिंग ब
का कहि ऐ बबुआ M.sc करके चलत काम वेल्डिंग बा

रात में पढ़ाई होला,दिन में वेल्डिंग चलेला
ऊपर से ई गरीबी आउरी हमके रेलेला

अइसन हमरे हाल नइखे केतनन के हाल बेहाल बा
ऊपर,नीचा,आगे,पीछे करके चलत आपन चाल बा

हाथ जोड़ विनती करब हम ई सरकार से
जल्दी से निपटी हमनी जस बेरोजगार से

हमनी के जीवन ना मोजदार चाही
बानी बेरोजगार हमके रोजगार चाही,

Ntpc exam पीड़ित युवा की कलम से

#सूरज कुशवाहा#

Language: Bhojpuri
196 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भीगी पलकें...
भीगी पलकें...
Naushaba Suriya
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
Har Ghar Tiranga
Har Ghar Tiranga
Tushar Jagawat
हाइकु : रोहित वेमुला की ’बलिदान’ आत्महत्या पर / मुसाफ़िर बैठा
हाइकु : रोहित वेमुला की ’बलिदान’ आत्महत्या पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
■ आज का शेर अपने यक़ीन के नाम।
■ आज का शेर अपने यक़ीन के नाम।
*प्रणय प्रभात*
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
माटी
माटी
जगदीश लववंशी
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
काश
काश
हिमांशु Kulshrestha
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
Er.Navaneet R Shandily
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बेटियां
बेटियां
Ram Krishan Rastogi
सीरिया रानी
सीरिया रानी
Dr. Mulla Adam Ali
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
और ज़रा भी नहीं सोचते हम
Surinder blackpen
उलझा रिश्ता
उलझा रिश्ता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*शाकाहारी भोज, रोज सब सज्जन खाओ (कुंडलिया)*
*शाकाहारी भोज, रोज सब सज्जन खाओ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
बेटियां
बेटियां
Madhavi Srivastava
एहसासों से भरे पल
एहसासों से भरे पल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
गरीबी
गरीबी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
है वक़्त बड़ा शातिर
है वक़्त बड़ा शातिर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
Sushila joshi
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
पूर्वार्थ
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मगरूर क्यों हैं
मगरूर क्यों हैं
Mamta Rani
विश्व जनसंख्या दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस
Paras Nath Jha
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
Kanchan Alok Malu
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
Sanjay ' शून्य'
Loading...