बात मेरी होगी,कल
बात मेरी होगी,कल महफ़िल में तेरी
नई फूल खिलेंगे,नई रौशनी होगी
हर एक लबों पे बात अपनी होगी
कल महफ़िल में तेरे………
नई फूल खिलेंगे,नई रौशनी होगी
हर एक लबों पे बात अपनी होगी
कल महफ़िल में तेरे…….
निकलेगा सूरज कल जो यहां
होगा ना कोई फिर तन्हा यहां
चारों तरफ होंगी शबनमी बहार
झूमेगी गलियां,तो बाजेगा नगार
दें दें तू अगर मेरे हाथों में हाथ
फिर कोई ना यूं बंदशी होगी
कल महफिल में तेरे………
फूल और खुशबू में, चांद और तारों में
चर्चा अपनी होंगी कल महफ़िल में तेरे
दिवानो के होंगे कल लंबी कतारें
ढूंढेगी हमको हर एक की निगाहें
खुशियों का होगी आलम दिन,रात
जब पुकारेगे लोग मुझे लेकर तेरा नाम
फिर ऐसी-वैसी ना कोई बात होगी
कल महफ़िल में तेरे……….
गीतों में, रागों में,सरगम के हर एक झंकारों में
आवाज़ अपनी होगी,कल महफ़िल में तेरे
सूरज चमकेगा, चांद भी चमकेगा
माथे के मेरे बिंदिया भी चमकेगी
चूड़ी खनकेंगी, मेरी पायल बजेगी
हमारे लिये कल महफ़िल सजेगी
हमारी दिवानगी सर चढ़कर बोलेंगी
चाहे फिर क्यों ना वहीं बात होगी
कल महफ़िल में तेरे…………
नितु साह(हुसेना बंगरा) सीवान-बिहार