बात मन की
बात मन की कविता है,
भावनाओं की नगमा है।
जो दिल की गहराई से उभरें,
और रूह को छू जाएं।
मन के कोने-कोने में बसी है,
अनगिनत यात्राएं हैं।
इच्छाओं की ढेर से पथ जूझें,
और सपनों के ऊंचाई चढे़ं।
हर ख्वाहिश और आकांक्षा है,
एक अनूठी कहानी है।
जो सबको छू जाए रास्ते में,
केरले हृदय की धारी है।
अहंकार को दूर भगाएं,
मधुरता से प्यार छा जाए।
मन की गहराइयों को बयां करें,
और अपने भूमिगत कार्य जाएं।
बात मन की कविता है,
अनंत अद्यायों की राहा है।
जो हमसे कहना चाहता है,
कार्तिक नितिन शर्मा