बात उनकी क्या कहूँ…
गीत…
बात उनकी क्या कहूँ सुनता कहाँ कोई यहाँ।
प्यार हो जिसमें भरा मिलता कहाँ कोई यहाँ।।
आइने में झांकते तस्वीर अपनी रोज जो।
कर रहे हैं रात- दिन दुश्वारियों की खोज जो।
चाहता है मन जिसे दिखता कहाँ कोई यहाँ।
प्यार हो जिसमें भरा मिलता कहाँ कोई यहाँ।।
हो रही बाजार में अपनत्व की अब रैलियाँ।
नित बदलती जा रही है बोलने की शैलियाँ।
मौन ही सब हो गये कहता कहाँ कोई यहाँ।
प्यार हो जिसमें भरा मिलता कहाँ कोई यहाँ।।
है सफ़र आसान जीवन का नहीं यह जानते।
छूट जाते हैं यहाँ पर लोग सच यह मानते।
साथ दुर्दिन में कभी चलता कहाँ कोई यहाँ।
प्यार हो जिसमें भरा मिलता कहाँ कोई यहाँ।।
बात उनकी क्या कहूँ सुनता कहाँ कोई यहाँ।
प्यार हो जिसमें भरा मिलता कहाँ कोई यहाँ।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)