बातें
रोज ही होती थी बातें।
गम- खुशी, बचपन की बातें।।
दिन की बातें, दिल की बातें।
गुजरे दिन, महफिल की बातें।।
इनकी बातें, उनकी बातें।
जाने किन किन की ये बातें।।
हसता भी था, स्वस्थ था मुस्तैद था।
पर न जाने कौन से दरियाए गम में कैद था।।
चल दिया मुंह मोड़कर, सारी दुनिया छोड़कर।
हाथ मलते रह गए, क्या किए हम मित्र बनकर।।
काश हमने की जो होती, खास बातें।
तो न आती विकट काली गम की राते।।
🔥मित्र बने, एहसास बने🔥