बाढ का कहर
किया बाढ ने देश मे,…….ऐसा बंटाधार !
कितनो के टूटे हृदय,कितनो का घर बार !!
कहे कहानी बेरहम, बर्बादी की बाढ़ !
आया है फिर देश मे, संकट बड़ा प्रगाढ़!!
चीख चीख बस चीख है, शोर शोर बस शोर !
कुदरत के आगे कहाँ , चला किसी का जोर !!
मुश्किल में बस चीखिये ,… खूब कीजिये शोर !
रुष्ट प्रकृति पर कब चले, किसी मनुज का जोर !!
रमेश शर्मा