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16 Feb 2024 · 1 min read

बाढ़ @कविता

जब मै होती हु प्रकट
तो जड़ क्षेत्र पदार्थ
खो देते हैं स्वरूप अपना
मेरे जल कण से निर्मित
लघु सागर सा लहराता है
इस भू पटल पर
मानव की शिल्प कला
दंभ तोड़ती
जल परिदृश्य बनाती हु
साथ मे शोक और बेबसी की
छाप छोड़ती हु
मानव के हृदय पटल पर
दम तोड़ती है कई निर्दोष जिंदगी
मेरी शीतल गोद में आकर
मै जलप्लावन की प्राचीन
मनु घटना का
लघु पुनरागमन
हुआ करती हूं
कभी कभी

@ओम प्रकाश मीना

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